यह क्या किया श्रधा ,प्यार कैसा था तुमने किया किया?
प्यार करना गुनाह तो ना था ,पर खुद का अंत कितना भयानक किया ?
माता -पिता को अपनी बालिग उम्र बता कर था तुमने चुप कर दिया
उनकी ममता ,सलाह सब को अनदेखा तुमने उस पापी के लिए था किया
कितनी पीड़ा मां ने उठाई ,अपने प्राणों का भी उसने था अंत किया
पिता ने भी कितना तिरस्कार ,तकलीफ उठाई तुम्हारे यू गायब होने के बाद
जन्मदाता की ममता पलों में झटक दी अंदेशा ना हुआ खतरे का उस बहशी के साथ
काश ,प्रेमी की थोड़ी सी जानकारी हासिल की होती तुमने उससे ,मोहब्बत के बाद
इतना वीभत्स अंत शायद ना होता गर सुन ली होती तुमनेअपने जन्मदाता की बात
आफताब का गुनाह शायद सामने ना आता गर पिता ने ना छानबीन की होती
तुमने उनको ठुकरा दिया था भले ही पर उनको अपनी बिटिया ना कभी भूली थी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें