उफ़ क्या हो रहा है ?हमारे समाज को
युवक,युवतियां बेझिझक खुदकशी ,निर्मम हत्या कर रहे हैं
बिन सोचे -विचारे पीछे छूट जाने वाले परिवार को नकार रहे हैं
वृद्ध माता -पिता जिनकी शेष जिन्दगी दोजख के समान बना जाते हैं
आंख मूंद कर मोहब्बत करते हैं ,पल में रिश्ता ख़त्म करते हैं जिन्दगी हार जाते हैं
युवा पीडी को,ऊँचे उड़ने की चाह,परिवार से विघटन शायद यह दिन दिखा रहे हैं
आधुनिकता का जमा पहने उच्च वर्ग का माहौल पथ भटकाने के वास्ते काफी है
इसकी दलदल में फंसकर अपनी सीमाएं ,माहौल ,संस्कार सब भूलते जा रहे हैं
एक दूजे का अनुसरण आँख बंद कर ,ड्रग्स ,सट्टा जैसी गंद में फंसते जा रहे हैं
परिणाम भी इसका हम सब रोज़ टीवी,अख़बार में रोज़ पड़ते आ रहे हैं
प्रेमियों की आपसी कलह हत्या,खुदकशी सरीखे संगीन परिणाम रोज़ आ रहे हैं
--रोशी
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