नवागत के आगमन से मन है प्रफुल्लित, उत्साहित
निरंतर हूँ करती एहसास उस कोमल स्पंदन का
नर्म है हथेली कोमल तलवा, निरंतर है जो सहलाता
हर घडी, हर शै है यह अहसास दिलाता है मन
की वह यही है, यहीं कहीं है मेरे दिल के आसपास
महसूस करती हूँ उसकी धड़कन, आवाज उसके रुदन की
टकराती है दिल से और हिला जाती है मेरी रूह को
नर्म, अदभुत, निष्पाप, सुंदर रूप है दिखता स्वप्न में
मुझको उसके कोमल स्पर्श का अहसास देता है, अनमोल सुकून
नींद में जगाती है उसकी अठखेलियाँ, करती है जो नवनित ठिठोलियाँ
कब आयेगा वह नवागत, भर देगा जिंदगी में नूतन किलकारियां ?
निरंतर हूँ करती एहसास उस कोमल स्पंदन का
नर्म है हथेली कोमल तलवा, निरंतर है जो सहलाता
हर घडी, हर शै है यह अहसास दिलाता है मन
की वह यही है, यहीं कहीं है मेरे दिल के आसपास
महसूस करती हूँ उसकी धड़कन, आवाज उसके रुदन की
टकराती है दिल से और हिला जाती है मेरी रूह को
नर्म, अदभुत, निष्पाप, सुंदर रूप है दिखता स्वप्न में
मुझको उसके कोमल स्पर्श का अहसास देता है, अनमोल सुकून
नींद में जगाती है उसकी अठखेलियाँ, करती है जो नवनित ठिठोलियाँ
कब आयेगा वह नवागत, भर देगा जिंदगी में नूतन किलकारियां ?
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