शुक्रवार, 24 दिसंबर 2010

फागुन की मस्ती

फागुन की मस्ती है तन मन में है छाई
बगियन में कोयल ,कुंजन में बौर है अलसाईं  
नित नवपल्लव  संग ,पुष्पों से बगिया है महकाई 
प्रकृति ने धरा पर पीत पुष्पों की चादर है फहराई
होली खेलें अदिति संग नीरज देखत माँ है हुलसाई
राघव,  अनुभव की मस्ती देख है भावी मुस्काई  
होली की बधाई ,बधाई और ढेरों बधाई )--   

1 टिप्पणी:

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत पसन्द आया
हमें भी पढवाने के लिये हार्दिक धन्यवाद
बहुत देर से पहुँच पाया ....माफी चाहता हूँ..

  श्वर प्रदत्त नेमतों की खुशियों के अहसास से महरूम क्यूँ रहते हम स्वस्थ काया सबसे कीमती तोहफा है ईश्वर का जिसमें जीते हैं हम दुनिया में बेशु...