आज अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जा रहा है
समस्त नारी जाति को बेबकूफ़ बनाकर फंसाया जा रहा है
बस एक दिन नारी जाति के नाम करके उसको फसाया जा रहा है
उत्पीडन तो शुरू हो जाता है उसके गर्भ में आते ही
ज्यादातर का सफ़र तो गर्भ में ही ख़त्म हो जाता है
बाकी को जन्मते ही होती हैं दुस्वरिया,
खीर मक्खन तो खाए भाई और वो रह जातीं बेचारियाँ
बचपन, पढाई सब लाँघ कर जब पहुंचे वो ससुराल
लगे उसको मिल गया हो सपनो का साज
यहाँ भी है बही बखेड़ा , ससुराल के हिसाब नहीं होता थोडा
यह ना है बाबुल का घर तुम्हार
माँ से सुनती आई थी मायके में तो मेहमान है
असली घर है ससुराल ही तुम्हार
सारा गणित है गड़बड़ाया नारी का की कौन सा घर है हमार
पर कहीं ना मिलता सुख उसको वहां पिता यहाँ पति सब करते उससे आशाएं अपार
यही है ९० % महिलाओं की जिंदगी पर भार
आखिर कियूं मनाया जा रहा है यह महिला दिवस का त्यौहार
जिस दिन महिलाओं को मिले सम्पूर्ण अधिकार प्यार और सत्कार
मिलेगा उसी दिन होगा महिलाओं का महिला दिवस साकार ...
2 टिप्पणियां:
सचमुच,जिस दिन नारी को उसका सम्मान वापस मिल जाएगा ,नारी दिवस की सार्थकता उसी दिन सिद्ध होगी !
मन को छू गयी आपकी अभिव्यक्ति !
आभार !
vo sabki hai uska koi nahin yahi to vyathaa hai naari kee .
veerubhai
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