उसका मन निर्मल, स्वभाव शांत और
कियूं कर ईश्वर ने बनाया उसको ऐसा ?
थी वो कोई इश्वेर्ये वरदान जो मिली थी उसको वो लली
आत्मा भी थी उसकी शुद्ध, न थी कोई तामसी ब्रती वहां
आज की युग में भी कोई बालक हो सकता है कहाँ ?
न थी उसको कोई जेवर, कपडे और किसी भी उत्पात की चाह
बस सदा जीवन उच्च विचार ही था उसकी राह
कभी भी , कहीं भी , किसी भी चीज को ना थी उसको जरुरत
किया ईश्वर ने बनाया था उसका स्वभाव या उसने खुद बना ली थी फितरत
दूसरो को ही देना, कभी खुद कुछ न लेना ऐसा था उसका स्वभाव
कहना आसन लगता है पर निभाना है मुश्किल ऐसा वर्ताब
माँ होकर भी हरदम सोचती कियूं न उसको कभी भी मन न चलता
कितना सयंम , था उसको मन पर यह कभी भी दूसरे को ना पता चलता ...
6 टिप्पणियां:
बड़ी ही भावमयी रचना।
बहुत भावपूर्ण रचना...
भावपूर्ण अभिव्यक्ति.........
मासूम अहसाओं को समेटे भावपूर्ण रचना !
Sunder ...hridaysparshi rachana.....
दूसरों को देना और खुद कुछ न लेना एक भाव प्रधान रचना धन्यवाद
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