शुक्रवार, 27 मई 2011
Roshi: नारी जीवन एक प्रश्न
Roshi: नारी जीवन एक प्रश्न: "बरसो बाद आज मिली वो मुझे बीमार, असहाय , मानसिक अवसाद से त्रस्त थी वो हँसना, मुस्काना खिलखिलाना गई थी वो भूल बुत सरीखी प्रतिमा लग रही थी ..."
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
दिनचर्या सुबह उठकर ना जल्दी स्नान ना ही पूजा,व्यायाम और ना ही ध्यान सुबह से मन है व्याकुल और परेशा...
-
श्वर प्रदत्त नेमतों की खुशियों के अहसास से महरूम क्यूँ रहते हम स्वस्थ काया सबसे कीमती तोहफा है ईश्वर का जिसमें जीते हैं हम दुनिया में बेशु...
-
जीते जी तो भोजन -पानी ना दिया सुकून से ,मार दिया जीते जी उनको श्राद्ध कर्म कर रहे हैं आज शानो -शौकत से बिरादरी में नाम कमाने को जिस मां ने...
-
होली का त्यौहार आ रहा है , साथ में रंगों की बौछार ला रहा है लाल, पीले ,हरे, नीले रंगों का है अदभुत संसार हर रंग से हम देखते और खेलते आये ...
3 टिप्पणियां:
marmik.
सुन्दर है, कुछ और पंक्तियाँ जुड़ जाये तो और अच्छी अभिव्यक्ति हो सकती है!
बहुत सुंदर रचना है. नारी जीवन एक प्रश्न शीर्षक में सच मे दर्द है।
एक टिप्पणी भेजें