शुक्रवार, 27 मई 2011

Roshi: नारी जीवन एक प्रश्न

Roshi: नारी जीवन एक प्रश्न: "बरसो बाद आज मिली वो मुझे बीमार, असहाय , मानसिक अवसाद से त्रस्त थी वो हँसना, मुस्काना खिलखिलाना गई थी वो भूल बुत सरीखी प्रतिमा लग रही थी ..."

3 टिप्‍पणियां:

Apanatva ने कहा…

marmik.

nilesh mathur ने कहा…

सुन्दर है, कुछ और पंक्तियाँ जुड़ जाये तो और अच्छी अभिव्यक्ति हो सकती है!

महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा…

बहुत सुंदर रचना है. नारी जीवन एक प्रश्न शीर्षक में सच मे दर्द है।

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