सब कहते हैं की बीति बातें बिसार दो ,और आगे की सुध लो
पर भूलना क्या होता है इतना आसा ?
जिनको था दिल और दिमाग ने इतना चाहा
एक ही झटके में टूटा पूरा का पूरा भरम का जाल
खुल गयी आंखें ,मिला जिन्दगी को सबक .और नए ख्याल
पर किससे कहें ? क्या कहें ,बचा न था कुछ भी बाकी
स्वयंम सिर्फ स्वंयं पर ही करो भरोसा यह ही है जिन्दगी का फलसफा
माँ -बाप तो हमेशा ही रहे थे सुनाते जिन्दगी के खाए धोखे
पर हम मूर्ख समझते रहे की घुमा देंगे जादू की छड़ी
बना देंगे रिश्तों ,जिन्दगी सब को आसां
पर अब पता चला की हो ही गए थे हम फेल
हमारी किस्मत में न था समझ पाना इन रिश्तों का फलसफा
कई लोग तो बिना कुछ करे धरे भी पा जाते हैं सभी का प्यार
पर हम सब कुछ कर के भी ना पा सके मर्जी से जीने का अधिकार
16 टिप्पणियां:
बहुत मुश्किल है समझ पाना जिंदगी का फलसफा... सुन्दर रचना
छोड़ दे सारी दुनिया किसी के लिये, यह मुनासिब नहीं आदमी के लिये..
जिन्दगी कैसी है पहेली .......
सुंदर रचना।
बेहतरीन प्रस्तुति!
सारगर्भित उदगार हैं आपके |बीती बिसार देना सरल नहीं है ,जिन्दगी हर कदम पर एक इम्तिहान लेती है| वक्त बीत टी जाता है पर गुजरता नहीं है सदा साथ रहता है |
जिंदगी वाकई एक पहेली है
sundar hai ...bhula pana mumkin hi hota har baat ko to kya majal ashu aajate kabhi hamari bhi ankhon !!
aun anubhavi aankhon ne dekha tha dur tak tabhi to sunate the kahaniya !!!
sundar rachana roshi ji ....abhar.
पर हम सब कुछ कर के भी ना पा सके मर्जी से जीने का अधिकार..is pankti ne sab saar kah diya ...bahut achha likhati hain aap...likhati rahiyega
सुन्दर भाव ........बिलकुल सही कहा जिन्दगी को समझना जटिल काम है पल पल में पलट जाती है ये......अच्छी पंक्तियाँ ....
बधाई....मैं आपका १०० वाँ फोलोवर...
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चीज़ों को पकड़ के कैसे बैठिएगा जीवन का समय का प्रवाह आगे की ओर है पीछे रुका हुआ पानी है .जड़ता है चेतन्य आगे है .
सुन्दर अभिव्यक्ति भाव की अनुभाव की .
ये जीवन है ... इस जीवन का यही है रंग रूप , थोड़ी खुशियाँ...थोड़े गम है...
बहुत खुबसूरत , बधाई
बहुत सुंदर रचना।...बेहतरीन प्रस्तुति!
फलसफा ..... ही है सब, सही कहा आपने.
hmm....bhul pana kaash aasaan hota.
bahut sundar Roshi ji ...... vakai jindgi kis mod pr le jayegi samajhana mushkil hai ......sadar abhar..
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