सुबह पेपर में पड़ाएक युवक ने की आत्महत्या
दो दिन से था पेट खाली पोस्त्मर्तम रिपोर्ट ने यह बताया
गरीबी का था आलम की पूरा परिवार समां जाता एक गुदरी में
न सर पर था छप्पर ,न पेट में भोजन जीवन की मार्मिक त्रासदी मन को न भाई
हम बातें करते हैं २१वी सदी की ,चाँद पर जाने की सबने है जुगत भिडाई
पर वह रे मानव तुजसे तो यह इश्वर प्रदत्त धरा न सम्हाल पाया
जितना दिया तुझको उस विधाता ने पहले उसको तो तू सहेज
सर पर छेत,पेट में अन्न ,और थोडा सा वस्त्र इतना सा भी तू न सबको दे
