शुक्रवार, 21 सितंबर 2012

झूट और फरेब


कितने झूठ ,कितने फरेब  कोई कब तक कर सकता है ?
शायद उम्र भर ......और अब उसको भी लगने लगा है 
की शायद वो है ही गुनाहगार  इन सब हालातों की वो है 
मुजरिम ,या शायद वक़्त खेल रहा है कोई खेल उसके साथ 
पर जब कोई बात बार -बार दोहराइ जाती है लगातार 
तब पत्थर पर भी पड़ जाती है दरार ,.........
स्याह को सफ़ेद और सफ़ेद को स्याह तो दिखा ही देती है यह दुनिया 
जब राम को दिखाया दुनिया ने आइना सीता के दुश्चरित्र का 
तो वो भी ना देख पाए सीता के सतीत्व को ,उसके प्रताप को 
 कब तक ? आखिर कब तक चलता रहेगा यह अत्याचार ?????????

3 टिप्‍पणियां:

***Punam*** ने कहा…

सुन्दर....
दरअसल हमने वो दृष्टि ही खो दी है...!!

रश्मि प्रभा... ने कहा…

जिसकी फितरत ही झूठ हो...उसके लिए तो तमाम उम्र भी कम है

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति!
लिखती रहिए!!

                                  दिनचर्या   सुबह उठकर ना जल्दी स्नान ना ही पूजा,व्यायाम और ना ही ध्यान   सुबह से मन है व्याकुल और परेशा...