कितने झूठ ,कितने फरेब कोई कब तक कर सकता है ?
शायद उम्र भर ......और अब उसको भी लगने लगा है
की शायद वो है ही गुनाहगार इन सब हालातों की वो है
मुजरिम ,या शायद वक़्त खेल रहा है कोई खेल उसके साथ
पर जब कोई बात बार -बार दोहराइ जाती है लगातार
तब पत्थर पर भी पड़ जाती है दरार ,.........
स्याह को सफ़ेद और सफ़ेद को स्याह तो दिखा ही देती है यह दुनिया
जब राम को दिखाया दुनिया ने आइना सीता के दुश्चरित्र का
तो वो भी ना देख पाए सीता के सतीत्व को ,उसके प्रताप को
कब तक ? आखिर कब तक चलता रहेगा यह अत्याचार ?????????
3 टिप्पणियां:
सुन्दर....
दरअसल हमने वो दृष्टि ही खो दी है...!!
जिसकी फितरत ही झूठ हो...उसके लिए तो तमाम उम्र भी कम है
सुन्दर प्रस्तुति!
लिखती रहिए!!
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