शनिवार, 21 दिसंबर 2013




जब बच्चा हो बीमार ,माँ का दिल रोये बार -बार
पर करे वो क्या मचा ना सकती हाहाकार
दिल में होती चुभन ,दिमाग होता शून्य बारबार
अपने हिस्से का दर्द झेलना ही होता है हर किसी को
बरना माँ बच्चों की सारी तकलीफें समेट लेती दामन में अपने हर बार
कोई शै भी कदाचित ना चुभा सके दर्द का काँटा उसके नौनिहालों को
मां का दिल रब से दुआएं यह ही मांगे बार -बार ,हर बार ..............

कोई टिप्पणी नहीं:

                                  दिनचर्या   सुबह उठकर ना जल्दी स्नान ना ही पूजा,व्यायाम और ना ही ध्यान   सुबह से मन है व्याकुल और परेशा...