हे त्रिपुरारी जब ,जब प्रथ्वी पर असुरों का आतंक छाया है ,दानवों ने कोलाहल मचाया है आपने सदेव तीसरा नेत्र खोलकर इन राक्षसों को भस्म किया है ,प्राणिमात्र की सदेव रक्षा की है ....जागो और अपने भ्रमास्त्र का सदुपयोग करो यह धरती पापों के दावानल तले गर्त में जा रही है आतंकी ,बलात्कारी .झूटे ,मक्कार जैसे सैंकडों दानवों ने अपना सर्वस्व साम्राज्य फेला लिया है ....जागो शिवा जागो
गुरुवार, 27 फ़रवरी 2014
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
दिनचर्या सुबह उठकर ना जल्दी स्नान ना ही पूजा,व्यायाम और ना ही ध्यान सुबह से मन है व्याकुल और परेशा...
-
श्वर प्रदत्त नेमतों की खुशियों के अहसास से महरूम क्यूँ रहते हम स्वस्थ काया सबसे कीमती तोहफा है ईश्वर का जिसमें जीते हैं हम दुनिया में बेशु...
-
जीते जी तो भोजन -पानी ना दिया सुकून से ,मार दिया जीते जी उनको श्राद्ध कर्म कर रहे हैं आज शानो -शौकत से बिरादरी में नाम कमाने को जिस मां ने...
-
होली का त्यौहार आ रहा है , साथ में रंगों की बौछार ला रहा है लाल, पीले ,हरे, नीले रंगों का है अदभुत संसार हर रंग से हम देखते और खेलते आये ...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें