सही और गलत से उनको रूबरू करवाते रहे
अपने लिए कांटे, गैरों की राह फूलों से सजाते रहे
उनकी मुसीबतों को कमकरने के चक्कर में खुद भंवर में उतराते रहे
आज तक ना समझ सके वो गलती कर रहे थे या हम
इस नामाकूल शौक के चलते दोस्त कम दुश्मन ज्यादा बनाते रहे
सच्ची राह दिखाना ,नेक सलाह देना गर है गुनाह तो हम गुनाह ताजिन्दगी करते ही रहे
अपने लिए कांटे, गैरों की राह फूलों से सजाते रहे
उनकी मुसीबतों को कमकरने के चक्कर में खुद भंवर में उतराते रहे
आज तक ना समझ सके वो गलती कर रहे थे या हम
इस नामाकूल शौक के चलते दोस्त कम दुश्मन ज्यादा बनाते रहे
सच्ची राह दिखाना ,नेक सलाह देना गर है गुनाह तो हम गुनाह ताजिन्दगी करते ही रहे
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