गुरुवार, 15 दिसंबर 2016

                               नन्हे  मेहमान 
ओ  नन्हे  मेहनान ,तेरे  वास्ते है हम सब परेशान 
तेरी सलामती  और सेहत के लिए मन है  परेशा ,
बेचैन  हर  घड़ी  हर पल हैं नई आशाए ,नये सपने 
नये  रिश्ते  की ,सुगब गाहट ,नई  धड़कने 
 बढ़ती  है  धड़कन  दिल  की  मन  होता  है बेचैन  
हर दम  सोचती  हूँ  उस वेदना को और भर आते नैन   आंखों में आ  जाती  है सूरत  उस  नन्ही सी जान की  

             आन्या  के  जन्म  से  पहले
                       (धेवती )

2 टिप्‍पणियां:

कविता रावत ने कहा…

बहुत सुन्दर ....सच है जाने कितने सपने पलते है मन में नए मेहमान के लिए

Unknown ने कहा…

सुन्दर शब्द रचना
नव बर्ष की शुभकामनाएं
http://savanxxx.blogspot.in

                                  दिनचर्या   सुबह उठकर ना जल्दी स्नान ना ही पूजा,व्यायाम और ना ही ध्यान   सुबह से मन है व्याकुल और परेशा...