रविवार, 5 अगस्त 2018



भीड़ में थे जब अकेले,तन्हा दोस्तों को साथ अपने खड़ा पाया 
कुछ सुनी उनकी कुछ कहा हमने उनसे 
जिंदगी का भरपूर हमने लुफ्त उठाया 
वो दोस्त ही थें जिनको हरदम साथ खड़े पाया 
वरना रिश्तों की तो ठेरो हर साँस हमने दरकते पाया 

4 टिप्‍पणियां:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुन्दर

ब्लॉग बुलेटिन ने कहा…

ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, हैप्पी फ्रेंड्शिप डे - ब्लॉग बुलेटिन “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (07-08-2018) को "पड़ गये झूले पुराने नीम के उस पेड़ पर" (चर्चा अंक-3056) पर भी होगी।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

Meena sharma ने कहा…

बढ़िया

  श्वर प्रदत्त नेमतों की खुशियों के अहसास से महरूम क्यूँ रहते हम स्वस्थ काया सबसे कीमती तोहफा है ईश्वर का जिसमें जीते हैं हम दुनिया में बेशु...