शिक्षा,संस्कार ,माहौल ,यह सब मिलकर भी बदल सकते हैं व्यवहार
तब्दीली ला सकते हैं कुछ सिखा सकते हैं कुछ आचार -व्यवहार
पर जन्मजात अवगुण तो रहते हैं साथ सदा ,चाहे पड़ा लो उनको कितने पुराण
कंस ,रावण ,दुर्योधन सदा घिरे रहे सतपुरशों से ,भगवान थे सदा जिनके साथ
महापुराण पड़कर भी ज्ञानी रावण ना त्याग सका अपना घमंड और अभिमान
दुर्योधन को समझाते रहे सदेव गुरुजन ,माता गांधारी और सभी भाई, परिजन
कंस जैसे पापी को भी ना बदल सका बहन ,बहनोई ,माता -पिता का ज्ञान
मति-भ्रषट,अहंकार सरीखे अवगुण से किया सम्पूर्ण विनाश मिटाई अपनी शान
ज्ञान ,सत्संग, ने गर बदला होता स्वभाव ,तो इतिहास में होती कुछ और ही शान
रोशी --
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