भूत-काल को छोड़ो ,भविष्य की चिंता जेहन से त्यागो
बर्तमान में रमो खुशी का कोई लम्हा ना छोड़ो ,ज़िंदगी के सर्व सुख भोगो
बहुत डूढा,कोई मिल ना पाया ,जो इस कसौटी पर खरा उतर ना पाया
ताउम्र भूत ,वर्तमान और भविष्य के झूले पर सबको झूलते पाया
शायद हम सबकी नियति भी रहती है सुनिश्चित ,जान ना पाये कोई कदाचित
विधना सुख -दुख तो जन्मते ही हमारी कुंडली में कर देती है सदेव निश्चित
फिर क्यौ ना वर्तमान में जिये ,भरपूर ज़िंदगी का लुत्फ लें
क्या पता कल ज़िंदगी हो ना हो ,आज ही मज़े से जी लें
कल ,आज और कल की उलझन में ना उलझ कर जीने का नजरिया बदल डालें
खुद को मसरूफ़ रखें सारे जमाने की खुशियाँ खुद ही अपनी झोली में समेट डालें
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