किस्मत का लेखा कभी ना कोई बाँच पाया
कौन कब ज़िंदगी में आसमां छू ले ,कौन है धरती में समाया
जतन सब भरपूर करते ,पर निशाना किसका सही लग जाए
किसान से ज्यादा मेहनत ज़िंदगी भर शायद ही कोई कर पाये
बेचारा ताउम्र ईश्वर की रहमत पर ही अपनी ज़िंदगी गुजर पाये
अंबानी ,अदानी अपनी -अपनी किस्मत सोने की कलम से लिखवा कर लाये
एक मजदूर की पूरी उम्र कुदाल-फावड़ा चलाते ही गुजर जाए ,बीत जाए
सिर्फ मेहनत से कुछ नहीं है संभव अगर साथ अच्छी किस्मत ना लिखा कर लाये
चद्णक्य,की बुद्धि स्वयं के कुछ काम ना आयी ,ना गुरु द्रोणाचार्य कुछ कर पाये
वक़्त ने उनको ज़िंदगी में बहुरंग दिखाये ,श्रेष्ठतम विद्वान भी ज़िंदगी में धूल फाँकते नज़र आए
गर किस्मत के सभी सितारे होते एक रेखा में ,गधे भी घोडा बनते नज़र आए
रोशी --
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें