शनिवार, 25 जून 2022

 हर गुजरता दिन सिखा जाता है कुछ नवीन ,अद्भुत सीख

दे जाता है बेहतरीन तजुर्बे ,कुछ अकल्पनिए सुंदर सीख
पशु -पक्षी ,बालक -बुजुर्ग ,कुदरत सब ही तो होते हैं हमारे गुरु
हर पल सिखाते हैं हमको जीने का नज़रिया ,जब से होती है हमारी ज़िंदगी शुरू
एक मुश्किल वक़्त ,हालत पर होता है जीने का सबका फलसफा अलग -अलग
क्या बेहतरीन रास्ता चुनते हैं अपने वास्ते ये हमको बना देती है अलग -थलग
परिवार ,समाज ,दोस्त-दुश्मन सभी से मिलता है हमको जीने का नवीन रुख
हमने कब क्या फैसला लिया ,बस यह तजुरबा बदल देता हमारे जीने का रुख
रोशी

1 टिप्पणी:

कविता रावत ने कहा…

बहुत अच्छी रचना
अपने लिखे को बार-बार पढ़ो तो कविता और बेहतर रूप में आपके सामने होगी।

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