देखी क्या किसी की फितरत बदलते हुए,क्या बदल सका है कोई ?
कभी नहीं ,जो होती बचपन में ना बदल सका उसको ताउम्र कोई
जो मिजाज ,प्रवृति ,होती जन्मजात रहती उम्र भर साथ इंसा के
दुर्योधन रहा सदेव सज्जनों के साथ पर असर ना हुआ स्वभाव पर उसके
पूरी ज़िंदगी पैंतरों में जाती गुजर पर कामयाबी न लगती किसी के हाथ
कुछ दृष्टांत हैं इतिहास में कि हुआ आत्मा का काया -कल्प सम्पूर्ण
कौआ भी बन गया हंस और बदल गयी उसकी आत्मा सम्पूर्ण
--रोशी
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