शुक्रवार, 30 सितंबर 2022

 ज़िंदगी का हर गुजरता लम्हा ,वापस नहीं आता उसका आनंद उठाओ

जैसे जीना चाहो खुल के जियो ,जितनी साँसे है उनका पूरा लुफ्त उठाओ
मन का खाओ-पीयो,जो दिल चाहे पहनो ,खुद के लिए भी जीना सीख जाओ
देश -विदेश की सैर करो ,बड्ते कदमों को ना रोको ,सारा जग घूम डालो
ज़िंदगी और सेहत मिली है बेशकीमती जी भरकर उसका लुफ्त उठा डालो
हर गुजरता लम्हा है नए दौर में मुश्किल खुद का जीवन आसान बना लो
परिवार के साथ गुफ्तगू ,दोस्तों से जी भर दिल्लगी आज ही कर डालो
जो ठाना हो करने का आज से ही मकसद को अंजाम तक पहुंचा डालो
दिल ,दिमाग जो कहे करने को नेक विचार पर अमल आज ही कर डालो
जीवन की घड़ियाँ रेत की मानिद फिसल रहीं हर घड़ी जो जी चाहे कर डालो
ज़िंदगी ना मिलेगी दोबारा ,कथन को दिल ,दिमाग में बैठा डालो ,बैठा डालो
--रोशी
May be an image of sky and text that says 'Life'
Like
Comment
Share

कोई टिप्पणी नहीं:

                                  दिनचर्या   सुबह उठकर ना जल्दी स्नान ना ही पूजा,व्यायाम और ना ही ध्यान   सुबह से मन है व्याकुल और परेशा...