बुधवार, 26 अक्टूबर 2022

 भाई -दूज का त्यौहार प्रतीक है पवित्र रिश्ते का बहन का भाई से ,

खिल उठता है भाई का मन ,देखकर जब बहन है आई ससुराल से
दोनों होते हैं सदेव जुड़े एक प्रेम की अद्रश्य ,अद्भुत डोरी से
कितने भी रहें दूर एक दूजे से त्यौहार ले आता करीब उनको प्रेम से
हमारे संस्कार ,परम्पराएं ,त्यौहार सब रिश्तों को रखते समेट के
टकटकी लगा देखते हैं दोनों राह परस्पर एक -दूजे की बहुत ही प्रेम से
खिचे चले आते हैं दोनों मिलने को सात समंदर पार से भी
मन रहता है बेचैन दोनों का परस्पर ना मिलने पर भी
--रोशी
Uploading: 57550 of 57550 bytes uploaded.

3 टिप्‍पणियां:

डॉ. दिलबागसिंह विर्क ने कहा…

आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 28.10.22 को चर्चा मंच पर चर्चा - 4594 में दिया जाएगा
धन्यवाद
दिलबाग

अनीता सैनी ने कहा…

सच कहा आपने।
बहुत सुंदर।

मन की वीणा ने कहा…

कोमल! भावात्मक रचना,भाई बहन के अतुल्य प्रेम को दर्शाती।

                                  दिनचर्या   सुबह उठकर ना जल्दी स्नान ना ही पूजा,व्यायाम और ना ही ध्यान   सुबह से मन है व्याकुल और परेशा...