शुक्रवार, 25 नवंबर 2022

 श्रद्धा का उधारण नवयुवतियों को शायद कुछ सोचने पर करे मजबूर

जन्मदाता ने २५ साल तक पालन-पोषण किया उनको पल भर में कर दिया दूर
गर लगाये होते ३५ मिनट बात सुनने में माँ-बाप की, ३५ टुकड़ों में ना बंटता शरीर
मां की गहन वेदना,पिता का झुका सर ,परिवार की भर्त्सना का ख्याल किया होता
अखबार सब चीख-चीख कर कह रहे,काश तुमने अपने हक के लिए लड़ा होता ?
बहशी को सलांखों के पीछे पहुंचाई होतीं क्योँ शरीर पर यूं जख्म झेलती रही?
प्यार में धोखे पर दिया होता उसको सबक क्यों उसका अत्याचार सहती रहीं ?
,दोस्तों की मानी होती गर तुमने बात ,पता नहीं कौन सी मजबूरी थी तुम्हारे साथ
कई नस्लों तक चलेगा यह नासूर समाज और परिवार के तुम्हारे सदेव साथ
--रोशी

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