सर्द मौसम ,गिरते तापमान ने कर दिया है निशब्द
ख्याल ,ख्वाब ,अहसास सब मानो सुन्न हुए ,है ना कोई शब्द
जिन्दगी भी गई है ठहर ,सड़कें भी हैं सुनसान,ना है कोई कोलाहल
आवारा घूमते कुत्ते भी है गायब ,चौकीदार भी किसी कोने में हैं निशब्द
सीटी बजाना भुला बैठा है ,जागते रहो की ध्वनि भी शायद जम गई कंठ में उसके
बेहद कष्टकारी होता है प्रकृति का कहर इसके वास्ते हैं ना कोई शब्द
--रोशी
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