सोमवार, 23 जनवरी 2023

 एक तो शीत लहर उधर से बारिश का कहर

ईश्वर रहम कर अपने बन्दों पर ,ना झेला जाता अब मौसम का कहर
बिन छत के जो जी रहे हैं उनपर अब थोड़ा रहम कर
एक गुदडी में जो काट रहे हैं रातें कुछ उनका भी ख्याल कर
पूस की मावट ना झेली जाती ,सांसे भी हैं अब भयातुर
बरछी सी अंग पर चुभती हैं बारिश की बूँदें ,कहर सी लगती अब शीत लहर
प्रकृति की रफ़्तार भी अब पड़ गई है सुस्त ,सर्वत्र है छाया शीतलता का कहर
बरसे ना अब जल की बूंदे कर दो अपने बन्दों पर मेहर ..
--रोशी
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