अष्टमी ,नवमी को कन्याओं के प्रति जो भावना ,विचार मन में हैं उपजते
कोशिश रहती है कि जितना बन सके हमसे कन्या पूजन करें ,हम खुश होते
समुचित आदर ,भोजन ,पूजन करवा संतुष्ट कन्याओं को हम दिल से करते
गर यह ही सम्मान दैनिक जीवन में कर उनका हम मान सम्मान करते
भ्रूण हत्या ना कर उनको भी जीने का पूरा हक इज्ज़त से हम उनको हैं देते
घर -आँगन की शान होती हैं बेटियां ,आगे संतति इनसे ही हम सब हैं पाते
सिर्फ दो बार पूजकर ना अपने कर्तव्यों से मुख मोड़ो ,जीवन में बेटी भी है जरूरी
रौनक जीवन की उससे ,उत्सव ,त्योहारों की छठा है उसके बिना जीवन में अधूरी
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