मंगलवार, 13 जून 2023

 चाहे बिच्छु हो या हो सर्प ,फितरत होती एक समान

पाया है कुदरतन जो जन्मजात ,है न कोई उसमें भरम
कोई ना छोड़ते मौका जहर उगलने का मौका जब भी मिलता
ज्यूँ साधू देता प्रवचन सदेव चाहे कितनी विषम परिस्थिति में उलझता
प्रेम का पाठ पडाना ही होता है उसका जन्मजात स्वभाव सदेव
बदले कभी फितरत दोनों की अमृत हो या जहर उगलने की
रखना याद हमेशा मरते दम तक भी लेश मात्र छोड़ ना सके आदतें खुद की
-रोशी
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