शनिवार, 18 दिसंबर 2010

सावन की यादें

प्यारी बिटिया .............
सावन की बदरी में
झूलो की डोरी में
तुम याद बहुत आओगी
             बारिश की फुहारों में
             तृप्त करती बौछारों में
             तुम याद बहुत आओगी
मेहंदी के बूटों में
रंग बिरंगे सूटो में
तुम याद बहुत आओगे
              रंग बिरंगी चुनर में
              लहंगे की घूमर में
              तुम याद बहुत आओगी
मेघो की घन-घन में
पायल की छन-छन में
तुम याद बहुत आओगी
              चमकती बिंदिया में
              छनकती पायलिया में
              तुम याद बहुत आएगी ..................
                                                            माँ ........ 

4 टिप्‍पणियां:

Kailash Sharma ने कहा…

सावन में ही क्यों बेटी की याद तो हर मौसम में हर दिन आती है..बहुत ही प्रवाहपूर्ण भावमयी अभिव्यक्ति.

JAGDISH BALI ने कहा…

सुन्दर समां बांधा है ! भावपूर्ण रचना !

Lata agrwal ने कहा…

tum to kavitri ho gai . good rachna.

संजय भास्‍कर ने कहा…

आपका ब्लॉग पसंद आया....इस उम्मीद में की आगे भी ऐसे ही रचनाये पड़ने को मिलेंगी......आपको फॉलो कर रहा हूँ |

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