बसंत ऋतू आई ,साथ ही अपने हैं बसंती बयार लाई
शरद ऋतू में ,साथ ही थोड़ी सी नरमी भी है आई
पावन पवन सभी के तन को बहुत ही हैं सुहाई, बालक,वृद्ध,युवा सभी को हैं पुरवाई भाई
अम्बर में रंगीन पतंगो की अदभुत छठा है छाई
क्या बच्चे ,क्या युवा सभी जन ने हैं हुर्दंग मचाई
घरों की छतें जो साल भर रहती है अनछुइ
उन्ही छतों पर गीत, संगीत और धमाचौकडी है मचाई
प्रकृति ने मानो धरा पर पीत पुष्पों की चादर है फेहराई
सर्वत्र उल्लास और बगियन में भी बौरों पर भी अमराई छाई
कोयलिया की कूक ,पशु -पक्षियौं ने भी ली है अब अंगडाई
ऐसी है हमारी बसंत ऋतू तभी यह ऋतूओं कि रानी कहलाई
3 टिप्पणियां:
शरद ऋतू हे ही मतवाली !
हम सबका कैसा हो बसंत?
आशावादी सुंदर लेख
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