गुरुवार, 21 जुलाई 2011

बेटी की समझदारी

बेटियां होती हैं कितनी मासूम, कोमल और समझदार
पैदा होती हैं तो शायद सबको रुलाती हैं हर बार
पर उम्र बढने के साथ ही हो जाती हैं होशियार

घर-परिवार , माँ बाप की इज्जत की होती है दरकार
कोई भी लक्षमण रेखा पार करने से पहले सोचती है दस- बार
खुद काँटों से लहू लोहान होती हैं पर माँ बाप को बचाती हैं हर बार
बचपन से ही भाईयों की ढाल बनती रही हैं हर बार
यही त्याग, सयम और प्यार बचपन से सीखती बुनती आई है
आपने जीवन के हर रूप में नवीन श्रंगार ...........

14 टिप्‍पणियां:

Rakesh Kumar ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति की है आपने.
पर समय अब बहुत तेजी से बदल रहा है.
अच्छे संस्कारों से ही लड़कियां ऐसा कर पाती हैं,जैसा आपने लिखा.वर्ना अब संस्कार भी आहत होने लगे हैं.

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

बेटियाँ कहीं अधिक समझदार व संवेदनशील होती हैं।

JAGDISH BALI ने कहा…

Very sweet and relevant.

Dinesh ने कहा…

बेटियां होती हैं कितनी मासूम, कोमल और समझदार
पैदा होती हैं तो शायद सबको रुलाती हैं हर बार
Wah Bahut sundar bhaw...sach kaha apne abhi bhi hamare samaj me betiyon ko kamtar anka jata ha....

Maheshwari kaneri ने कहा…

बेटियां होती हैं कितनी मासूम, कोमल और समझदार
पैदा होती हैं तो शायद सबको रुलाती हैं हर बार... सुन्दर प्रस्तुति...
मेरी नई पोस्ट में आप का स्वागत है.."मेरी प्यारी बेटी ".......

Dr (Miss) Sharad Singh ने कहा…

बेटियां होती हैं कितनी मासूम, कोमल और समझदार
पैदा होती हैं तो शायद सबको रुलाती हैं हर बार
पर उम्र बढने के साथ ही हो जाती हैं होशियार

बहुत ही कोमल भावनाओं में रची-बसी खूबसूरत रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई।

Kunwar Kusumesh ने कहा…

बेटियां होती है मासूम, कोमल और समझदार.

Surendra shukla" Bhramar"5 ने कहा…

रोशी जी हार्दिक अभिवादन सुन्दर रचना बधाई
काश ऐसी ही बेटियां सब माँ बाप को मिलें सुन्दर पंक्तियाँ

कोई भी लक्षमण रेखा पार करने से पहले सोचती है दस- बार
खुद काँटों से लहू लोहान होती हैं पर माँ बाप को बचाती हैं हर बार
बचपन से ही भाईयों की ढाल बनती रही हैं हर बार

धन्यवाद -शुभ कामनाएं
शुक्ल भ्रमर ५
भ्रमर का दर्द और दर्पण

www.navincchaturvedi.blogspot.com ने कहा…

पर उम्र बढने के साथ ही हो जाती हैं होशियार

एकदम सही

Surendra shukla" Bhramar"5 ने कहा…

रोशी जी हार्दिक अभिवादन आप का भ्रमर का दर्द और दर्पण में -समर्थन के लिए आभार -
आइये हमारे अन्य ब्लॉग पर भी यदि अच्छा लगे

बाल झरोखा सत्यम की दुनिया
http://surenrashuklabhramar5satyam.blogspot.com,
रस रंग भ्रमर का
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भ्रमर की माधुरी
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भ्रमर का दर्द और दर्पण
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shukl bhramar5
BHRAMAR KA JHAROKHA
http://bhramarkajharokha5-dare-e-dil.blogspot.com

Vivek Jain ने कहा…

बेटियां होती हैं कितनी मासूम, कोमल और समझदार
बहुत सुंदर प्रस्तुति,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

BrijmohanShrivastava ने कहा…

बेटों से ज्यादा बेटियां ही करती हैं माँ बाप को प्यार

amrendra "amar" ने कहा…

बेटियां होती हैं कितनी मासूम, कोमल और समझदार
पैदा होती हैं तो शायद सबको रुलाती हैं हर बार... सुन्दर प्रस्तुति..

Unknown ने कहा…

beti toh jiwan amulya tohfa hai!!!!!!!

                                  दिनचर्या   सुबह उठकर ना जल्दी स्नान ना ही पूजा,व्यायाम और ना ही ध्यान   सुबह से मन है व्याकुल और परेशा...