यूँ तो नववर्ष मानते आये हैं हम हर बार,
हर साल नया शहर, नया परिवेश और नए रूप धारण करते हैं हर बार,
खूब धूम धड़ाका, आतिश बाजी, कॉकटेल, पार्टियाँ करते हैं हर साल ,
नए सपने नए ख्वाब, नयी खुशियों से लवरेज रहती ज़िन्दगी हर बार,
पर क्यों न मनाये नव वर्ष एक नव नूतन रूप में इस बार ,
अभी तक तो थी उलझी रही ज़िन्दगी सिर्फ में , मेरा परिवार , मेरे बच्चे और मेरे घर में ,
कभी भी न सोचा देश, समाज और नगर के बारे में,
अब जागो, तनिक सोचो जिस देश समाज से हो तुम जाते जाने और पहचाने,
उसकी कभी भी न की महसूस, ज़रा भी जिमेदारी हमने,
तनिक न सोचा अवला, दीन, दुखी और अनाथों के बारे में
"जब जागो तभी सवेरा " देर अभी भी न हुई है जागने में ,
आज ही ले लो कोई प्रण, कसम, इस नव वर्ष पर अभी से
एक भी दुखी पर की गयी दया हर लेगा सारा चिंतन ज़िन्दगी से ,
नव उर्जा, प्रफुल्लित मन भर देगा खुशियों से सारा घर आँगन
खूब धूम धड़ाका, आतिश बाजी, कॉकटेल, पार्टियाँ करते हैं हर साल ,
नए सपने नए ख्वाब, नयी खुशियों से लवरेज रहती ज़िन्दगी हर बार,
पर क्यों न मनाये नव वर्ष एक नव नूतन रूप में इस बार ,
अभी तक तो थी उलझी रही ज़िन्दगी सिर्फ में , मेरा परिवार , मेरे बच्चे और मेरे घर में ,
कभी भी न सोचा देश, समाज और नगर के बारे में,
अब जागो, तनिक सोचो जिस देश समाज से हो तुम जाते जाने और पहचाने,
उसकी कभी भी न की महसूस, ज़रा भी जिमेदारी हमने,
तनिक न सोचा अवला, दीन, दुखी और अनाथों के बारे में
"जब जागो तभी सवेरा " देर अभी भी न हुई है जागने में ,
आज ही ले लो कोई प्रण, कसम, इस नव वर्ष पर अभी से
एक भी दुखी पर की गयी दया हर लेगा सारा चिंतन ज़िन्दगी से ,
नव उर्जा, प्रफुल्लित मन भर देगा खुशियों से सारा घर आँगन
6 टिप्पणियां:
दया का भाव वृहद संतुष्टि देता है।
जागरण का गीत.... बढ़िया...
सादर...
shaandar prastuti,,sadar badhayee aaur amantran ke sath
shaandar prastuti,,sadar badhayee aaur amantran ke sath
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