सोमवार, 10 अक्तूबर 2011

दीपावली


झिलमिल दीपकों की जगमगाहट, स्वर्णिम आभा से आलोकित,
कर रही है यह संपूर्ण धरा को प्रकाशित, बिखर गया है संपूर्ण उल्लास,
मन है सबके प्रफ्फुलित, नई फसल, धन-धान्य से है धरा पूर्ण, सभी के मन हैं आनंदित,
शीतल वयार का आगमन भी कर रहा है मन को स्पंदित, घर-आँगन में धरी रंगोली चौबारे भी भये सुवासित,
लक्ष्मी का आगमन भर देगा कोठे, तिजोरी और झोलियाँ, प्रमुदित मन हर्षित सब जन,
होगा अब त्यौहार पर होगा अपनों का आगमन ये ही सपना संजोये हर मन. 

कोई टिप्पणी नहीं:

                                  दिनचर्या   सुबह उठकर ना जल्दी स्नान ना ही पूजा,व्यायाम और ना ही ध्यान   सुबह से मन है व्याकुल और परेशा...