सोमवार, 10 अक्तूबर 2011

प्रेम ,प्यार,मोहब्बत


प्रेम, प्यार, इश्क, मोहोब्बत पर क्या लिखें आज?
इस विषय पर तोह बरसों से लिखता आया है इतिहास 
हमारे ग्रन्थ, शास्त्र, गीत, कहानी और ढेरो उपन्यास
सब के सब हैं भरे पड़े इसी शब्द की महिमा से अपरम्पार 
पर क्या is प्रेम, प्यार, मोहोब्बत jaise शब्दों की व्याख्या kar पाया है कोई?
नहीं, कभी नहीं . सबने ज़्यादातर इसको परिभाषित किया, सिर्फ नर नारी के रिश्ते में. 
कभी न जाना असली मर्म, सच्चा अर्थ, इन सुन्दर शब्दों के पीछे.
प्रेम क्या सिर्फ नर नारी के बीच आपसी संबंधों का ही नाम है? 
प्रेम के तो अगणित  हैं रूप, रंग और अंदाज़.
 माँ बालक का प्यार, गुरु का शिष्य से स्नेह,
 भक्त का अपने आराध्य से प्रेम, सेवक का स्वामी से निश्छल प्रेम.
 प्रेम के नित नए रूप, नए रंग, नवीन विषय, नव प्रसंग. 
मीरा का कान्हा से प्रेम, राधा और कृष्ण का वाना रहित प्रेम, 
केवट का राम से प्रेम, सीता का पति प्रेम. भरत का भाई प्रेम. 
हमारे जीवन में हैं अद्भुत प्रेम. उन्नत, उत्कृष्ट रूपों में, 
जिनको है न कोई ग्रन्थ, इतिहास, काल, है समेट पाया अपने पन्नों में 

3 टिप्‍पणियां:

Nirantar ने कहा…

bahut achhaa

Unknown ने कहा…

स्नेह किया तो दूसरे से जाता है पर....वह हमें सुन्दर बना देता है......

विभूति" ने कहा…

बहुत ही अच्छे....

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