शनिवार, 7 जुलाई 2012

जिन्दगी की अजब कहानी




किस्मत से बढकर कुछ नहीं है मिलता देख लिया है जिन्दगी की आपा -धापी में
सब कुछ था अजमाया हमने बस समझ ये ही आया इस जिन्दगी की दौड़ा -भागी में 
सारी अक्ल ,सारी होशयारी बस रह जाती है धरी की धरी इस जिंदगानी में 
बड़े से बड़े बन्दों को देखा है मिलते खाक और मिटटी में इसी जिन्दगी में 
जो  लिखा कर आये है तकदीर अपनी वो ही पाते हैं सब सुख जिन्दगी में 
अक्सर देखा है बहुत से कर्मयोगी कर्म करते है पूरा इस जिंदगी में 
पर कुछ भी ना कर पाते हैं हासिल सारी की सारी जिंदगी में 
इस को भाग्य का लिखा कहा जाये या कहें किस्मत की बुलंदी 
बिना कुछ करे भी वो सब कुछ पा जाते हैं जिन्दगी में 
  

12 टिप्‍पणियां:

महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा…

बढिया
बहुत सुंदर

Unknown ने कहा…

सुंदर रचना॥

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

जितनी अजब है, उतनी ही गजब है..

Satish Saxena ने कहा…

बिलकुल सच अनुभव है , यही हा जिंदगी !
शुभकामनायें आपको !

Roshi ने कहा…

mahendraji,pradeepji,praveenji.satish ji aap sabka bahut bahut shukriya

Roshi ने कहा…

mahendraji,pradeepji,praveenji.satish ji aap sabka bahut bahut shukriya

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

बहुत सुन्दर .....

अनु

Pallavi saxena ने कहा…

sachi baat kahti rachna ...

Arvind Jangid ने कहा…

ऐसी ही है जिंदगी...सुंदर रचना

रचना दीक्षित ने कहा…

जिंदगी सचुच अजीव ही तो है जहाँ हर रोज एक नया उद्ध है हर रोज नयी समस्या है और नया संधान है.

सुंदर रचना.

विभूति" ने कहा…

बहुत ही खुबसूरत और प्यारी रचना...

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

सच है...ऐसा भी होते देखा है....

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