चुनावी माहौल में आजकल मस्त मंज़रों से होते रोज़ रूबरू
आम जनता हो गयी है कितनी स्वयं के लिए जागरूक
रोज़ अनगिनतओं रेलियां निकलती हैं अपने -अपने प्रचार वास्ते
आम आदमी भी इसका खूब फायदा उठा रहा है स्वयं के वास्ते
शायद सोच है उसकी कि नेता जी तो अब पाँच बरस करेंगे राज
लूटेंगे जनता को तो हम भी बहती गंगा में धो लें अपने हाथ
रोज़ वेश -भूषा बदल कर वो भी हो जाता है नित नई रैली के लिए तैयार
कल था लगाया नारा कमल के लिए आज है वो साइकल के लिए तैयार
नगद धन राशि ,कपड़ा ,राशन मिलेगा बस कुछ मीटर चलने पर
सौदा क्या बुरा है ?घर गृहहस्ती चलेगी कुछ महीने पटरी पर
सब अपने -अपने फायदे की जुगाड़ में हैं चाहे हो वो नेता या जनता
देश -समाज की ना थी पहले कोई सुध ,न अब कोई कभी है सोचता
रोशी --
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