दोस्तों का साथ ,कुछ पल का हँसना खिलखिलाना
मन को कर देता आनंदित ,नव ऊर्जा से समाहित
वो कुछ पल ही बन जाते हैं खास बस यौं ही उनसे मिल -मिलाकर
हर रिश्ते की होती है कुछ मर्यादा ,कुछ सीमाएं जिनका ना होता होशो -हवास
बस कुछ चुगलियाँ ,कुछ घर -भीतर की मानो आ जाता सब बाहर
कुछ अपनी ,कुछ उसकी सुनी ,बस ठहाके लगाते निरंतर जोरदार
कुछ नया सीखते ,कुछ उसको सिखाते वक़्त कब गुजरता ना रहता याद
जीवन में रंग भर देती हैं यह गुफ्तगू ,कुछ पल ही सही जीवन हो जाता खुशगवार
रोशी -
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें