कभी कभी जबर्दस्ती की मुस्कराहट से चेहरे को दमकाना पड़ता है
मन के भावों को हृदय के भीतर ही सँजो कर रखना पड़ता है
यह कलाकारी खुद ही सीखनी पड़ती है ,और प्रतिदिन परीक्षा भी देनी होती है
वक़्त ,हालत के मुताबिक ढल जाने की प्रवीडता हासिल करनी ही होती है
जिसने यह हुनर जान ,समझ लिया जीवन का सार मानो समझ लिया
सोलह कलाओं में इस विधा का बहुत अद्भुत महत्व है ज़िंदगी जीने के लिए
अपनी दुश्वारी समेट कर अपने दिल में रखो ,यही फलसफा है जीने के लिए
रोशी --
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