जीवन जीने की विधा इसकी कला ना समझ पाया हर कोई
बड़े -बड़े ऋषि भी ना पा सके इस कला की कभी गहराई
राजा द्रुपद ने किया यज्ञ लेने को अपमान का बदला
पुत्री द्रोप्दी ने तो था सारा इतिहास ही था बदला
सम्पूर्ण महाभारत ही बना कारण द्रोपड़ी के सिर्फ एक व्यंग का
क्यो हम ऐसे अपशब्द अनजाने ही कर जाते है इस्तेमाल
जो हृदय विदीर्ण कर जाते हैं ,आत्मा को कर जाते हैं घायल
बस एक लम्हा ही काफी होता है जिव्हा को सुमधुर वचन को
क्रोध के आवेग को सम्हालने में तो ऋषि -मुनि भी थे असमर्थ
जो इसमें हुए सक्षम वो इतिहास में कर गए अपना नाम दर्ज़
हो जाती है सबसे गलती ,बस जरूरत है स्वप्रयास की ,कोशिश में है ना कोई हर्ज़
रोशी
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