हमारे बीच कितने अनमोल सितारे हैं छुपे
पड़ गयी गर नज़र तो बाहर आ जाते हुनर छुपे
किसी को मिल जाती मनमाफिक मंज़िल तुरंत
कोई तो बेचारा ज़िंदगी भर ऐड़िया रह जाता घिसे
किस्मत ,मेहनत ,तजुरबा सब की है अहमियत इस रेस में
कछुआ तो पहले भी हरा चुका है खरगोश को रेस में
ढेरों सचिन ,लता ,साइना छुपी हैं कंही ना कंही इस माशरे में
ना जाने कब किसकी नज़र पड़ जाए उनको तराशने में
पैदा तो हर कोई होता है भीतर समेटे अपने अनोखी प्रतिभा के साथ
बस किस्मत है आपकी कब नजरे इनायत हो जाए ईश्वर की आपके साथ
रोशी --
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