होली का आया त्योहार ,जो संग ले आता है कुछ नए धमाल
जीजा समझे साली को आधी घरवाली ,भाभी भी करे देवर संग कमाल
सबको मिले मौका अपनी को छोड़ पड़ोसन को समझे घरवाली
अनुकूल मौका ,भंग की तरंग सभी हुये अपने रंग में मस्त खेलने में होली
दादा -दादी पर चडा प्यार का अद्भुत रंग ,एक दूजे को रंग रहे बेखौफ मस्ती से
आँख की रोशनी ,काँपती काया साथ नहीं दे रहे ,आज उनको लाज नहीं जमाने से
नई नवेली घूँघट की ओट से निहार रही प्रीतम को ,रंग से सरोबार करने को बैचैन
होली का पर्व है अनूठा जो प्रिया प्रीतम सबको मौका देता जो था करने को मन बेचैन
रोशी --
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें