छोटी-छोटी खुशियाँ भी जीवन को कर देती हैं रंगीन
इनको भी जी कर देखो जीने का नज़रिया हो जाएगा रंगीन
हर वक़्त हम जीवन की कमियाँ दूंदते रह जाते हैं ,यही सोच है संगीन
क्या हमने है पाया ?स्वस्थ काया ,सर पर छत,थाली में भोजन और वस्त्र
तनिक इनके बगैर जीवन सोच कर देखो ,सांस थम जाएगी ,होगा अति कष्ट
जो पाया है ,इनायत है ,मेहरबानी है उस रब की,गर कर लिया दिल को संतुष्ट
दूजे की थाली के लड्डू गजब लगते हैं ,यह ही है मानव स्वभाव की व्यथा
खुद के बनाए मकड़-जाल में उलझा रहता है सदेव ,यह ही है इसकी कथा
जो है ,जितना है उसमें खुश रहना है हमारे अपने बस में ,इसका ना कोई तोड़
जितना पाया उस रब से ,है वो बहुत अनमोल ,है बहुत अनमोल ......
रोशी --
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