औकात से ज्यादा खर्च करने की प्रवर्ती नौजवानो को धकेल रही है गर्त में
कपड़ा ,जूता,बाइक, मोबाइल सबसे ऊपर है इस खर्चे की लिस्ट में ,
बिन अपने घरेलू हालात,साहूकार के कर्जे के बाबजूद हो रहे रोज़ बर्बाद
मुख में गुटका ,कान में ईयरफोन समेट रहा युवकों को बर्बादी के आगोश में
शिक्षा से भटकता ध्यान ,मेहनत से कोसों दूर भाग रहा आज का इंसान
मोबाइल चार्जिंग पर है उसका सारा ध्यान ,यह ही ज़िंदगी जी रहा हर नौजवान रातों को लेता मोबाइल से अनर्गल ज्ञान ,भविष्य से है वो कतई अंजान
सिर्फ अपने लिए है जी रहा युवा ,परिवार ,समाज का है ना उसको कोई भान
टूटते परिवार ,दरकते रिश्ते बन रहे इसका सबब ,रिश्तों का उसको मिला ना ज्ञान
कुछ वर्षों में हम कहाँ आ पहुंचे? ,आगे क्या होगी मंज़िल ?हम सब हैं इससे अंजान
बर्बादी की ओर बड़ती हमारी नस्लों पर भी लगाना होगा हम सबको पूरा ध्यान
शिक्षा ,मेहनत ,परिवार ,समाज कुछ बातों का देना होगा नित ज्ञान ....
--रोशी
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2 टिप्पणियां:
सच में औकात से ज्यादा खर्च करने की नौजवानों की प्रवृत्ति गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है आजकल
बिल्कुल सही लिखा है आपने। औकात और जरूरत से ज्यादा खर्च करने की परम्परा सी हो गयी है।
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