सुनो इन्द्र देवता अब आपातकाल स्थिति आन पड़ी है भारी
रोक लो अब मेघों का कहर ,बिपदा आन पड़ी है अत्यंत भारी
गाँव ,देहात में छाया विकट कहर ,खेत ,खलिहान सब जलमग्न
घर -छप्पर गिर रहे टूटकर ,मजबूर हुए सब गरीब इंसान
खाने के पड़ गए लाले ,बह गया गृहस्थी का सब सामान
तकलीफ में है हमारा अन्नदाता ,जीवन उसका हुआ गमगीन
गुजर जाएगा है तकलीफ देह वक़्त पर छोड़ जाएगा गहरे जख्म
जीवन में जब आ जाती है अचानक आपदा ,समझा जाती जीने का मर्म
2 टिप्पणियां:
इंद्र ने शायद पुकार सुन ली है ।
सही कहा ..
बहुत सुंदर सामयिक सृजन
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