लड़कियां वाकई बहुत जल्दी बड़ी हो जाती हैं
कद से ,अक्ल से ,दिल से जल्दी बड़ी हो जाती हैं
माँ का दिल ,बाप का चेहरा मिनटों में पड़ लेती हैं
मां की जरूरतें ,पिता की जेब सब पलों में जान जाती हैं
ससुराल में पाँव रखते ही उसका मानचित्र समझ लेती हैं
हों चाहे रईस की बेटी पर पति की औकात से घर चलाना जानती हैं
कोई सिखाता नहीं पर अपनी घर -गृहस्थी चलाना खुद सीख जाती हैं
मां बनते ही बच्चे को बाखूबी सम्हालना खुद- बा खुद जान जाती हैं
बच्चे के इशारे ,जरूरतें खुद पड़ना सीख जाती है ,अद्भुत ही लड़कियां होती हैं
--रोशी
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