जिन्दगी में बहुत कुछ है हमेशा सीखने -सिखाने को
ऊम्र का तकाज़ा सिर्फ भ्रम है ,जिन्दगी में बहुत कुछ है करने को
बस अपनी उम्मीदों ,हौसलों को जिन्दा रखिये ,रास्ता खुद-बा-खुद बन जायेगा
बढती ऊम्र के साथ मिलता है तजुर्बों का साथ ,रास्ता खुद आसां हो जायेगा
हर वक़्त अपनी बढती ऊम्र ,व्यस्तता का रोना रोते हैं ,जो है सरासर गलत
देखा है करीब से जिन्होंने बदल डाला है जीने का नजरिया ,, 50 बरस के बाद
बिंदास ,खुशगवार जीवन जी रहें हैं निरंतर जीने के ढंग में बदलाव के बाद
अक्सर जीवन निकल जाता है बस घर-गृहस्थी के झंझटों में व्यस्त रहने के बाद
खुद के शौक तो पूरे करें साथ ही औरों के वास्ते प्रेरणा बनें 50 की ऊम्र क बाद
दुनिया कितनी तेजी से बड रही निरंतर ,खुद को पीछे रखने का क्या मकसद
जो ना कर सके अब तक ,उस ख्वाब को बना लो फ़ौरन अपने जीने का मकसद
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