कभी सोचा यह बरसते मेघ हमसे बहुत कुछ कहते हैं
जब बरसते हैं ,लरजते हैं सब कुछ दिल का कह जाते हैं
जब मेघ प्यार दिखाते हैं आसमां से बड़ी अदा से बरसते हैं
प्यार मोहब्बत दर्शाते हैं ,बिखराते हैं खुद से बरस -बरस कर
रोद्र रूप भी खुलेआम दिखाते हैं ,अपनी पीड़ा शायद बयां कर
सुनामी भी शायद तकलीफों ,पीडाओं को व्यक्त करने का ही तरीका है
कभी महसूस कर के देखो शायद सब समझ आने लगेगा सच यही है
तेज हवायें भी बखूबी दोस्ती निभाती हैं मेघों के साथ ,पवन,मेघ का रिश्ता है पुराना
जब एक पीड़ा में होता है , दूजा साथ निभाता है ,परस्पर साथ निभाकर अपना
--रोशी
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