प्यासी धरती, झुलसा तन
शीतलता देता है बरसता सावन
हरियाली तीज आने को है सन्देश देता है सावन
दूर देश बैठी बेटी का आने को है बेक़रार मन
भैया को पीहर जाकर बांधुंगी राखी है यह मन
जो न जा सकीं पीहर, ससुराल में हैं तड़पता उनका मन
माँ भी संजोती सपने और जोहती है बाँट हर छड
आती होगी लाडो, झूलेगी झूला, रचेगी मेहंदी
और आने से बेटीयों के गुलजार होगा सूना घर आँगन.....
1 टिप्पणी:
सबको खुशियों रोज़ मिलें।
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