सहनशीलता ,सामंजस्य ,धैर्य समाप्त होता जा रहा है आजकल के युवा पीड़ी में
पति -पत्नी ,भाई -बहन बाप -बेटा हर रिश्ता बेमानी होता जा रहा है कलयुग मेंआदर , मान- सम्मान सब पुरानी बातें होती जा रही हैं ,लुप्त होती जा रही हैं
ना तो सुनना कभी सीखा नहीं शायद बचपन से ही सब ख्वाहिश पूरी हो जाती हैं
एक दूजे को बर्दाश्त करना मुश्किल होता जा रहा आज के ज़माने में
एकल परिवार सबसे बड़े कारण बनते जा रहे हैं इस मसले का इस ज़माने में
--रोशी
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